Yug Purush

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8TH SEMESTER ! भाग- 82( before the exam-2)

"सच..."अरुण खुशी से बोला..

"नही... मज़ाक कर रहा हूँ, भाभी है ना तू मेरी... बकलोल... अबे चल जा..."

"नही मज़ाक कर रहा हूँ, अबे चल जा..."
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अरुण चुपके से उठा और मिठाई का डिब्बा उठाकर वापस आया...

"अबे अरमान,बड़े भैया कही जाग तो नही रहे..."एक मिठाई अपने मुँह मे भरकर अरुण अजीब सी घुटी -घुटी आवाज़ मे बोला...

"बड़े भैया,शुरू मे सोने का नाटक कर रहे थे...लेकिन पिछले 5 मिनिट्स से वो सो रहे है..इसलिए बिंदास होकर अपनी टंकी भर..."अरुण के नक्शे कदम पर चलते हुए मैने भी एक मिठाई उठाई और उसे खाते हुए अजीब सी  घुटी -घुटी आवाज़ मे बोला...

" ये तुझे कैसे मालूम..."अरुण ने एक और पीस उठाते हुए पुछा..

"आज से लगभग दो साल पहले एक न्यूज़ पेपर मे एक आर्टिकल आया था ,जिसमे ये बताया गया था कि आप आँख मूंद कर लेटे हुए एक शक्स को देखकर कैसे मालूम करोगे कि वो सोने का नाटक कर रहा है या सच मे सो रहा है...."मैने भी मिठाई का दूसरा पीस उठाते हुए जवाब दिया...

"कमाल है.."अबकी बार अरुण ने तीसरा पीस उठाया और कहा"मैं क्या बोलता हूँ कि अपुन दोनो ही मिलकर ये डिब्बा खाली कर देते है,वरना बड़े भैया के जाते ही लौन्डे टूट पड़ेंगे और हम दोनो घंटा हिलाते रह जाएँगे"

"एक दम करेक्ट बात बोली है तूने..."

"वो तो अपुन हमेशा बोलता है...बोल पापा इसी बात पर "

"मम्मी बोलू...ये चलेगा क्या "
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एक घंटे बाद बड़े भैया की आँख खुली और उन्होने हॉस्टल  वॉर्डन से मुलाक़ात की और मेरे बारे मे,मेरी हरकतों के बारे मे वॉर्डन से बात-चीत की...अब एक कॉलेज हॉस्टल  का वॉर्डन हॉस्टल  मे रहने वाले सभी लड़को के बारे मे कैसे जान सकता है...लेकिन हमारा वॉर्डन मेरे बारे मे बहुत कुछ  जानता था...मेरी हरकतों के बारे मे वो मेरे भाई को सब कुछ  बता सकता था...लेकिन उसने ऐसा नही किया और उसने ऐसा क्यूँ नही किया ,इसका रीज़न भी मैं ही था...हुआ कुछ  यूँ कि जब से बड़े भैया ने फोन मे बताया था की वो यहाँ आकर मेरे टीचर्स से मिलेंगे तभिच से मैने सिदार  को बोलकर अपने वॉर्डन को समझा दिया था कि वो मेरे बड़े भैया से मेरी कोई शिकायत ना करे...और हुआ भी वैसा ही, वॉर्डन ने बड़े भैया से कुछ नही कहा.....
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उन दिनो मेरी किस्मत भी कुछ  ज़्यादा ही मुझपर मेहरबान चल रही थी, जहाँ कल रात मैने कॉलेज की सबसे हॉट लौंडी को उसी के घर मे उसी के बिस्तर पर पेला था वही कल की फेयरवेल  पार्टी के चलते आज कॉलेज बंद था...जिससे बड़े भैया को मेरे टीचर्स से मिलने का कोई मौका नही मिला...अब मैं प्राइम मिनिस्टर का कोई रिश्तेदार तो था नही कि कॉलेज का स्टाफ मेरे विपिन भैया से मिलने के लिए कॉलेज आए इसलिए बड़े भैया को फिलहाल वॉर्डन के मुँह से मेरी झूठी तारीफ सुनकर ही जाना पड़ा..
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"आप कहो तो रेलवे स्टेशन तक छोड़ देता हूँ, बाइक का जुगाड़ है..."हॉस्टल  से बाहर निकलते वक़्त मैने कहा...

"कोई ज़रूरत नही है और बाइक कम चलाया कर..."डाँट लगाते हुए वो बोले

"बड़े भैया आपने ठीक से सुना नही शायद....मैने कहा कि मैं आपको रेलवे स्टेशन तक छुड़वा देता हूँ,मेरे किसी सीनियर के साथ..."अपनी बात को तुरंत पलट कर मैने कहा...

"वो सब छोड़ और ये बता की अरुण की कितने सब्जेक्ट मे बैक  लगी है..."

"क्याआ... क. क्या कह रहे हो आप... बैक और अरुण की...??आपके कान किसने भरे अरुण के खिलाफ वो तो टॉपर है क्लास का"पहले मैं बुरी तरह हड़बड़ाया लेकिन बाद मे संभालते हुए जवाब दिया...

मेरी बात सुनकर बड़े भैया वही रुक गये और मेरी तरफ देखते हुए बोले"अरमान, जिस दो साल पहले की आर्टिकल का हवाला देकर तू अरुण से बिंदास होकर बात कर रहा था, वो आर्टिकल मैने भी पढ़ा था और मुझे अच्छी तरह से मालूम है कि सोने की एक्टिंग कैसे करनी है.... भूल मत कि जिस घर मे तू रहा है, उसमे मै भी रहा हूँ और दोनों एक ही न्यूज़ पेपर पढ़ते थे "

ये मेरी लिए करेंट के किसी झटके की तरह था..क्यूंकी यदि ऐसा था तो बड़े भैया ने फिर हमारी सारी बाते सुन ली होगी और साथ मे मैं खुद को शाबाशी भी दे रहा था कि अच्छा हुआ जो मैने उस वक़्त अपने बारे मे कोई बात नही की...वरना अभी ही मेरी टी.सी. निकल जाती....

"अब जर्मन मे बोलेगा या हिन्दी मे ही जवाब देगा..."मुझे भौचक्के खड़ा देखकर बड़े भैया ने अपना सवाल दागा...

"एक ही सब्जेक्ट मे बैक  है अरुण की..."

"और तूने वरुण नाम के सीनियर को क्यूँ पीटा था, मना किया था ना लड़ाई झगड़े के लिए..."

ये मेरे लिए पहले वाले झटके से भी बड़ा झटका था...बोले तो डबल शॉक....

ये मेरे लिए डबल शॉक इसलिए था क्यूंकी इस बारे मे मैने रूम मे अरुण से कोई डिस्कशन नही किया था लेकिन फिर भी विपिन भैया को ये मालूम चला...मतलब पक्का किसी ने अपनी काली ज़ुबान बड़े भैया के आगे खोली थी...

"उस बकलोल वॉर्डन ने बताया होगा..."मैने अंदाज़ा लगाया...
"आपको ये किसने बताया..."

"जब मैं यहाँ आ रहा था तभी तेरे एक सीनियर से मेरी मुलाक़ात हुई और मैने तेरे बारे मे पुछा और जानता है क्या हुआ..."

"क्या "

"मैं अपनी बात भी ख़त्म नही कर पाया था कि वो बोल पड़ा.....आप उसी अरमान की बात कर रहे है ना जिसने सुपर सीनियर वरुण  को ठोका था...तो फिर मैने जवाब दिया कि...हां मैं उसी अरमान की बात कर रहा हूँ और मैं उसका बड़ा भाई हूँ..."

"उसके बाद क्या हुआ..."मेरी आवाज़ अब दबने लगी थी...मेरी हालत अब ऐसी थी जैसे कि मेरा बहुत बड़ा जुर्म सामने आ गया हो....

"जैसे ही तेरे उस सीनियर को पता चला कि मैं तेरा बड़ा भाई हूँ...तो वो एक दम से चुप हो गया और तुरंत ही वहाँ से खिसक लिया..."

"ऐसे ही छोटी-मोटी बहस हुई थी वरुण से...कुछ खास नही हुआ..."

"कुछ खास होना भी नही चाहिए... समझा ."मैं हाइवे से हमारे हॉस्टल  को जोड़ने वाली रोड पर आकर बड़े भैया ने कहा"देख अरमान, ये उम्र का वो दौर है,जब सारी अच्छी नसीहत खराब लगती है...बंदा ये सोचने लगता है कि ये सारे नियम ,क़ायदे-क़ानून उसे बंदिशो मे क़ैद करने के लिए बनाए गये है...लेकिन हक़ीक़त ये नही होती, हम सारी चीज़ो को तब समझते है,जब सब कुछ हमारे हाथो से निकल चुका होता है....मैं ये नही कह रहा कि तू कोई आदर्शवादी बन, कोई मिसाल कायम कर...लेकिन इस बात का भी ध्यान रख कि हम मिड्ल क्लास के लोग जिस सोसाइटी मे रहते है...वो बड़ी खराब है...यहाँ लोग अपने बारे मे सोचने से ज़्यादा दूसरो की बुराई करने मे ज़्यादा ध्यान देते है... तुझे जरा भी अंदाजा नहीं की तेरे फर्स्ट सेमेस्टर मे इतने कम मार्क्स लाने से कैसी-कैसी बाते उड़ रही है...."

विपिन भैया की बाते मैं चुप-चाप सुन रहा था ,तभी मुझे दूर से सिटी बस आती हुई दिखाई दी...जिसे देखकर बड़े भैया ने बैग मेरे हाथ से अपने हाथ मे लिया और बोले...

"एक आख़िरी बात अरमान...एन्जॉय योर लाइफ ..लेकिन इतना नही कि ओठेर्स एन्जॉय ऑन योर लाइफ ..बाय "
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विपिन भैया के जाने के बाद भी उनकी बात मेरे कानो मे मंदिर के घंटो की तरह बहुत देर तक बजती रही और .मैं अपने ख़यालो मे डूबा हुआ ही हॉस्टल  आया. अपने रूम मे घुसते ही अरुण से पुछा की एग्जामस की डेट कब से है....और इस साल ये पहला मौका था जब मैने एग्जाम्स  के पहले बुक खोलकर पढ़ने की जहमत की थी...लेकिन मेरे खास दोस्त अरुण को शायद ये पसंद नही आया इसीलिए वो बार-बार खाने के समान का पैकेट ज़ोर से खोलते हुए मेरा कॉन्सेंट्रेशन पढ़ाई से हटाना चाहता था...लेकिन मैं भी कोई कमज़ोर खिलाड़ी नही था...मैने कान मे हेडफोन फसाया और पढ़ाई फिर से शुरू कर दी....और सच मे बताऊ तो उस रात मुझे बहुत दिनो बाद सुकून की नींद आई..इतनी शानदार नींद तो कल रात दीपिका मैम  को ठोकने के बाद भी नही आई थी....बेसिक ईलेक्ट्रिकल इंजिनियरिंग सब्जेक्ट के दो चैप्टर  एक ही दिन मे पढ़ने के बाद सोते वक़्त ऐश  के बारे मे सोचना सच मे मुझे बहुत ज़्यादा सुकून देने वाला था....

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दूसरे दिन मेरी नींद अरुण से पहले खुली, जिसका एक रीज़न शायद ये भी हो सकता था कि अरुण ने रात-भर फ़ेसबुक पर किसी लौंडिया से चाटिंग की होगी...कॉलेज के लिए देर हो रही थी,लेकिन अरुण अब भी भजिए तल के सो रहा था....

"जागो मोहन प्यारे, सवेरा हो गया, सुर्य आकाश मे अपनी लालिमा बिखेर रहा है और आप है कि यहाँ अपने शयन कक्ष मे चिर निंद्रा मे खोए हुए है...आज महाविद्यालय की तरफ प्रस्थान करने के बारे मे आपका क्या विचार है..."

"तूने कुछ कहा क्या..."आँखे मलते हुए वो उठा और उठने के तुरंत बाद ही बिना ब्रश किए कॉलेज जाने के लिए तैयार होने लगा....

"अबे , ब्रश तो कर ले कम से कम..."

"शेर कभी ब्रश नही करता, खून-मांस हमेशा उनके दांतो मे लगा रहता है "

"ग़ज़ब...."
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आज मैं पहली बार कॉलेज मे पढ़ने की उम्मीद लिए जा रहा था, मैने बहुत कुछ  सोच रखा था,जैसे कि कुछ  भी हो जाए,मैं क्लास मे एक लफ्ज़ भी अपने मुँह से नही निकालूँगा, टीचर्स जो पढ़ाएँगे वो समझ मे आए चाहे ना आए मैं फिर भी पढ़ुंगा...और हुआ भी ऐसा ही , मैने शुरू के फाइव पीरियड्स बिना किसी धमाके के निकाल लिए थे...आज किसी भी टीचर ने मुझे किसी भी बात के लिए नही टोका, ना क्लास से बाहर निकाला और फाइनली मैं आज बहुत खुश था....सबको मेरे इस नये बर्ताव से थोड़ी हैरानी तो हुई लेकिन उन सबसे ज़्यादा हैरान और परेशान मेरा खास दोस्त अरुण था और उससे भी ज़्यादा हैरान और परेशान मैं खुद था....
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"ओये अरमान, ये क्या लौंडियो की तरह डर कर चुप चाप बैठा है...मर्द बन और पहले की तरह बक्चोदि कर..."

"अभी तो फिलहाल मुझे स्टूडेंट बनना है और मर्द तो मैं हूँ ही.. यकीन नहीं तो दीपू मैम से पुछ ले .".

My Other Webseries ~ समुन्दर का शिकारी (fantasy+ action + adventure+ comedy)

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1 Comments

Raghuveer Sharma

27-Nov-2021 06:35 PM

सर आपके डायलॉग और उनकी टाइमिंग काफी कमाल की है कोई भी इंसान पढ़ना शुरू करे तो बिन पूरी रचना समाप्त हुए रह ही नही सकता

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